शुन्य विवाह हिंदु विवाह अधिनियम के तहत।

 1, हिंदु विवाह अधिनियम की धारा-5 की उपधारा-1 इस धारा मे यह कहा गया है कि किसी व्यक्ति का सप्तपदी द्वारा पहले से एक विवाह संपन्न हो चुका है। और वह व्यक्ति दोबारा सप्तपदी द्वारा दूसरा विवाह करता है तो। दूसरा विवाह शुरू से शून्य होगा। और दूसरा विवाह करने के अपराध के लिए उस व्यक्ति पर आई पी सी की धारा-494 के तहत बायगेमी का मुकदमा पहला वैध पति या पहली पत्नी कर सकती हैं और इसके लिए दो विवाह करने वाले व्यक्ति को कोर्ट से सजा हो सकती हैं। 



2, हिंदु विवाह अधिनियम की धारा-5 की उपधारा 5 मे कहा गया है कि शादी करने वाले पक्षकार सपिंड ना हो। यानि पिता की और से पांच पीढी और माता की और से तीन पीढी के अंदर कोई भी व्यक्ति सप्तपदी द्वारा वैध-शादी करते हैं तब भी ऐसी शादी शुरू से शून्य होगी।  

3,  हिंदु विवाह अधिनियम की धारा 7 की उपधारा 2 मे कहा गया कि जहा शादी के लिए सप्तपदी अनिवार्य हो वहा शादी तभी वैध और बाध्य होगी जब सतवा पद चल लिया गया हो। यानी सात फेरे पुरे नही होने पर ऐसी शादी शुरू से शून्य होगी। दो हिंदूओ के बीच वैध-शादी के लिए सप्तपदी का संपन्न होना अति आवश्यक है, अनिवार्य है। 

Sub-section-1 of Section 5 of the Hindu Marriage Act, in this section it is said that a person has already been solemnized by a Saptapadi. And if that person marries again by Saptapadi. Second marriage will be void from the beginning. And for the offense of second marriage, the first lawful husband or first wife can sue that person under section 494 of IPC and for this the person who has two marriages can be punished by the court.



Section 5 of the Hindu Marriage Act states that the parties to the marriage should not be sapindas. That is, if any person legally marries within five generations from the father's side and three generations from the mother's side, even then such marriage will be void from the beginning.

Sub-section 2 of Section 7 of the Hindu Marriage Act states that where Saptapadi is mandatory for marriage, the marriage shall be valid and binding only when the Satwa post has been completed. That is, if the seven rounds are not completed, such a marriage will be void from the beginning. For a valid marriage between two Hindus, the completion of Saptapadi is very necessary, it is mandatory.

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